यह बढ़ते चौतरफा दबावों का नतीजा है कि मीडिया मुगल रूपर्ट मर्डोक की कंपनी को बैकफुट पर आना पड़ा है। मर्डोक ने सेटेलाइट ब्रॉडकास्टिंग कंपनी ब्रिटिश स्काई ब्रॉडकास्टिंग (बीस्काईबी) के अधिग्रहण की दौड़ से अलग होने का फैसला किया है। उनकी कंपनी ने बीस्काईबी के अधिग्रहण के लिए 12 अरब डॉलर की बोली लगाई थी। उन्हें लगा था कि फोन टैपिंग के कारण विवाद में आए न्यूज ऑफ द वर्ल्ड को बंद करने से उनकी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी लेकिन उनकी कंपनी न्यूज कॉरपोरेशन पर संकट के बाद अभी भी टले नहीं है। ब्रिटिश सरकार ने फोन टैपिंग सहित पूरे मामले की जांच के लिए जज ब्रायन लेवेजन के नेतृत्व में एक टीम बना दी है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने यह चेतावनी भी दी है कि मर्डोक की संस्था का कोई सदस्य गलती करने का दोषी पाया गया तो जीवन भर ब्रिटिश मीडिया से नहीं जुड़ पाएगा। ब्रिटेन के संसद के सत्ता पक्ष और विपक्ष ने एकजुट होकर इस मामले में मर्डोक, उनके बेटे जेम्स और न्यूज ऑफ द वर्ल्ड के पूर्व संपादक को समन भेजकर जिस प्रकार का रूख अख्तियार किया है उसके बारे में मर्डोक ने सपने में भी नहीं सोचा होगा। क्योंकि ये वही मर्डोक हैं जिनका समर्थन पाने के लिए पक्ष और विपक्ष सभी में होड़ लगी रहती थी। कटघरे में खड़े न्यूज कॉर्प के लिए इस झटके से उबर पाना आसान नहीं होगा और हो सकता है इस विवाद से पीछा छुड़ाने में ही मर्डोक का नाम और विवादों में भी सामने आए। अमेरिकी सांसदों ने इस बात के जांच की मांग की है कि कहीं अमेरिकी लोगों के भी तो फोन टेप या हैक तो नहीं किए गए। यही नहीं मर्डोक अपने बाकी के अखबारों को भी बेचने का भी मन बना रहे हैं। मीडिया के लिए स्तरहीन मानक स्थापित करना और निजता में दखल कहीं मर्डोक के मीडिया साम्राज्य के पतन की शुरुआत का कारण तो नहीं बन जाएगा।
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